तुम वही हो ज़िसे मैं प्यार करता हूं ,
यकीनां इसका इजहार करता हूं .
तड़प मिलने की सदा दिल में रहती है ,
याद रखना मैं भी तेरा इंतजार करता हूं
मुझसे ज्यादा मेरे लफ़्ज़ तुम पर मरते हैं,
जब भी मेरी कलम से निकलते हैं जिक्र तेरा ही करते है...
नियत ए शौक भर ना जाये कहीं,
तू भी दिल से उतर ना जाये कहीं,
आज देखा है तुझको देर के बाद.,
आज का दिन गूजर ना जाय कहीं..!
इश्क़ का इज़हार नही हुआ तेरे बाद !
और किसी से प्यार नही हुआ तेरे बाद !
जो तुमसे तंग आ जाए उसे छोड़ दो ...
क्योंकि बोझ बन जाने से याद बन जाना ज्यादा बेहतर है।
उम्र भर की तालीम ज़ाया हुई इस तरह...!!
एक शख़्स को पढ़ा तो पढ़ना आया हमें..!!
मैं अधूरा शायर तुम ग़ज़ल पूरी हो,
कैसे कह दूँ कि तुम मेरी मज़बूरी हो,
मैं तुम्हे हर पल याद करता हूँ लेकिन तुम मुझे,
उतना ही याद करना जितना जीने के लिए जरूरी हो,
हर बार मोहब्बत मिलने का नाम नहीं होता कभी कभी,
मोहब्बत सच्ची तब होती है जब आपस में दुरी हो।
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