मिलने को दिल तुझे बेसबर है.
ना मंजिल का पता है ना रास्तों की खबर है
बस याद में जिंदा हूं
तेरी मोहब्बत का असर है
ज़रा शिद्दत से चाहों
तभी होगी आरज़ू पूरी
हम वो नहीं जो तुम्हें
ख़ैरात में मिल जाये....!!
रह गई है कुछ कमी तो शिकायत क्या है,
इस जहाँ में सब अधूरा है मुकम्मल क्या है ।
ये बेवजह के"फासले"आखिर "कम" क्यूँ नहीं होते...!!
मैं और तुम "मिलकर" कभी "हम" क्यूँ नहीं होते...!!
हिसाब आज तक इसका कोई रख ही नहीं पाया,
किसी को पाने की हसरत में क्या क्या खोना पड़ता है।
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