बेईमानी भी तेरे इश्क ने सिखाई थी,
तू ही पहली चीज है जो माँ से छिपाई थी❤️
करलू जो कैद तुम्हे इश्क के दायरे में,
लोग जल जायँगे तुम्हे मेरे इतना करीब देख के..
दस्तूर ही समझ नहीं आया फरवरी महीने का,
इश्क का महीना है या इश्क वालों के लिए महीना है।
रफ्ता रफ्ता अपनी ही नज़र में गैर हो गए ...
वाह री गफलत तुझे अपना समझ बैठे थे हम !!!
मैं ठहरा भोलेनाथ का दिवाना,
तो तू भी महाकाल की दीवानी बन जा ।
इतने खूबसूरत लफ़्ज़ों मे पिरोया है तुम्हें...!!
फिर भी तुम प्यार का सबूत मांगते हो...!!!
❤️ कुछ तुम्हारी बाहोंमे बीत गई,
कुछ तुम्हारी यादोंमें बीत गईं,
तुम में ही सिमटी थी जिंदगी मेरी,
तुम में ही बीत गई। ❤️
❤️ उनकी नजरोंकी गिरफ्त में हमने खुद को महफूज पाया हैं,
उनकी हर हरकत में हमने उन्हें हसीन ही पाया हैं,
यू तो बंदिशें नही आती रास हमें,
पर हमने उनकी बंदीशोंको अपनी जिंदगी पाया हैं। ❤️
तुमने ही सफ़र कराया था मोहब्बत की कश्ती का,
अब नजरे ना चुराओ मुझे डूबता देख कर..
सच बडी क़ाबलियत से छुपाने लगे है हम,
हाल पूछने पर बढिया बताने लगे है हम ।
चुपके से आकर इस दिल में उतर जाते हो,
साँसों में खुशबू बन के बिखर जाते हो,
कुछ यूँ चला है आपके प्यार का जादू,
सोते-जागते तुम ही तुम नज़र आते हो।
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