उम्र कहती है अब संजीदा हुआ जाए ....
दिल कहता है कुछ नादानियां और सही !!!
इजहार ए मोहब्बत इन आंखों से
बखूबी समझते है हम,
तोहमत ना लगे आप पे कहीं
इसलिए खामोश रहते है हम।
" प्यार "
कहो तो ढाई लफ़्ज .... मानो तो बंदगी ....
सोचो तो गहरा सागर ... डुबो तो ज़िन्दगी !!!
जिसे सोचते ही दिमाग खराब हो जाए ...
वो फ़िज़ूल ख्याल हो तुम !!!
लिख कर कितना बयां करेंगे हम दास्तां हमारी ....
जो दिल ने सहा है वो दिल ही जानता है !!!!
उसी की तरह मुझे सारा ज़माना चाहे,
वो मेरा होने से ज़्यादा मुझे पाना चाहे!
मेरी पलकों से फिसल जाता है चेहरा तेरा,
ये मुसाफ़िर तो कोई और ठिकाना चाहे!
कभी खामोशी से सुनो तो सुन पाओगे हमें भी,
मेरी चुप में भी तुम्हारे लिए बहुत चाहत है..❣️
उन्हें रोका तो बोले जाने दो मुझे,
जाने दिया तो बोले यही चाहते थे तुम 🤦♂🤦♂
गले लगकर भी सुलझ सकती है
उलझने तुम्हारी...
हर मसले का उपाय सिर्फ जंग तो नहीं..!!
पागल दिवाना क़ातिल बेग़ैरत बना देती है,
आदमी को जाने क्या क्या औरत बना देती है।
मुझे गुफ्तगू भी करनी है उनसे ...
और लबों से कुछ कहना भी नहीं !!!
आपकी आँखों से
गुफ्तगू करके,मेरी
आँखों ने बोलना
सीख लिया ❤️!!
जनाब चाह कर भी नहीं पड़ना चाहते हमारी मोहब्बत में ...
कहते हैं तुम दिल में नहीं रूह में समा जाती हो !!!
वो मेरा सुलझा समझदार शहजादा ....
मैं उसकी बिगड़ैल नवाबजादी हूं !!!
मेरे दिल की धड़कन को समझो या ना समझो तुम,
मैं लिखता हूँ मोहब्बत पे उसकी इकलौती वज़ह हो...
तेरी नज़रों का सदक़ा उतारा करे,
तुझको अपने हाथों से सवारा करे,
दिल मोहब्बत कर बैठा तुझसे
अब तू बता कैसे हम अपना गुजारा करें...!
हर चीज़ में खुशबु है तेरे होने की,
ग़ज़ब निशानियाँ दी है तूने अपनी चाहत की।
मैं जानता हूं कहानी का आखिरी मंज़र,
मैं रोकता रहूंगा और वो चली जायेगी...!!!
तू नही दिल मे मगर तेरा निशाँ बाकी हैं,
कुछ नही याद मोहब्ब्त में की धुआँ बाकी हैं,
जिस जगह कलेंडर में हमने जुदाई लिखी,
एक मुलाकात की तारीख अभी वहाँ बाकी हैं,
में तेरे बेवफा होने से परेशान नही,
दिल लगाने को अभी सारा जहाँ बाकी हैं।
मेरे शिकवे, शिकायतें, ख़्वाहिशें, फ़रमाइशें सब तुमसे ही है,
ये ना कहना इश्क़ का इज़हार
सिर्फ ढ़ाई अक्षरों से होता है....!!
इश्क नाज़ुक मिजाज़ है बेहद ...
अक्ल का बोझ नहीं उठा पाता !!!
सबसे कीमती हो तुम,
मेरी हमसफर हो तुम।
मैं वो हूँ जो कहता था कि इश्क में क्या रखा है,
कुछ दिनों से एक हीर ने मुझे राँझा बना रखा है।
😌😌
रूह से रूह का मिलन भी क्या खूब है..!!
जिस्म की हर हसरत में बस महबूब है..!!
कुछ इश्क़ का इज़हार कर रहे है ,
कुछ इश्क़ में खुद को बर्बाद कर रहे है..
हमे दुबारा इश्क़ न हो..
हम तो बस यही फ़रियाद कर रहे है..!!
लफ़्जों की इस अदा क़ो
मोहब्बत मत समझना हुजूर,
हर इश्क लिखने वाले के
मेहबूब नही होते।
दिल पाक है हमारा
थोड़ा तो अवारा कर दो,
डूब जाएंगे मोहब्बत ए दरिया में
गर तुम कोई इशारा कर दो..
सीखा ना सकी जो उम्र भर सारी किताबें मुझे ....
करीब से कुछ चेहरे पढ़े और ना जाने कितने सबक सीख लिए !!!
तवायफ से पूछी वजह जिस्मफ़रोशी की..
बोली मोहब्बत पर यकीन कर के घर से भागी थी...
जान ले लेगी इक दिन हमरी..
तुम्हारे ये नाक की जहर नथनी.!!
रुख अपना मैं तेरी तरफ मोड़ चुका हूं,
तेरी जुस्तजू में मीलों मैं दौड़ चुका हूं,
तू जर्रा जर्रा मेरी रगों में शामिल है,
दिल अपना मैं तुझसे जोड़ चुका हूं।।।।
एक दरिया से कर लिया है इश्क,
और हमें तैरना नही आता।
यू तो हर अदा गजब है साहिबा की लेकिन,
जो मुस्कुरा के देखे तो कसम से कहर बरस जाता है।
जब कभी बोलती हो हँस कर किसी से तुम,
जाने कितने खंजर मेरे सीने में उतर जाते है.!
छोटी सी ज़िन्दगी में रखा क्या है ....
अगर इश्क़ भी बुरा है तो फिर अच्छा क्या है !!! 😇😇
लाजमी है तेरे होने से
महफ़िलों में बवाल होना...
गज़ल सा हुस्न उस पे
शायराना मिजाज होना....
ज़ज्बा मेरा है ज़ज्बात उसके हैं.
बरसात मेरी ओर आंखें उसकी,
लफ्ज़ मेरे और खामोशी उसकी है,
लब मेरे पर आवाज उसकी है,
मेरी बाते कुछ भी नहीं,
जिक्र उसका है और बात उसकी है।
0 Comments